कालीबंगा उत्खनन

कालीबंगा, जिला - हनुमानगढ़, राजस्थान

१९६० से १९६९ वीथिका में जाएं
  • कालीबंगा, जिला - हनुमानगढ़, राजस्थान
  • १९६० से १९६९

कालीबंगा राजस्थान प्रदेश के पीली बंगा तहसील के जिला हनुमानगढ़ में घघ्घर नदी (प्राचीन सरस्वती) के बाएं तट पर स्थित है। इस पुरास्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा १९६० से १९६९ तक नौ उत्खनन-वर्षों तक पुरातात्विक उत्खनन कार्य किया गया। इस उत्खनन के दौरान दो सांस्कृतिक कालों का रहस्योदघाटन हुआ, ऊपरी प्रथम काल (कालीबंगा-१) में हड़प्पीय संस्कृति व निचला, द्वितीय काल (कालीबंगा-२) में प्राकहड़प्पीय संस्कृति के अवशेष मिलते हैं।

  • प्रथम काल -
  • कालीबंगा प्रथम के आरंभिक काल में सम्पूर्ण सेटलमेंट रक्षा-प्राचीर से आच्छादित था। रक्षा प्राचीर का निर्माण मिट्टी की ईंटों से किया गया था। दीवार के अंदर घरों का निर्माण भी मिट्टी की ईंटों द्वारा किया गया था। जिसका अनुपात रक्षा-प्राचीर की दीवार में प्रयोग की गई ईंटों के ही समान था। पकाई गई ईंटों के प्रयोग के भी चिन्ह उत्खनन मिलते हैं जिनकी पुष्टि एक घर में मिली नाली, चूल्हे के अवशेषों तथा एक बेलनाकार गर्त (जिसके चारों ओर चूने के पलस्तर की पंक्ति दिखाई देती है), से होती है। इस काल में ६ प्रकार के बर्तन के फेब्रिक (प्रकार) मिलते हैं जो कि यद्यपि प्रथम बार सोंथी से प्राप्त होते हैं। ये फेब्रिक है - 'A, B, C, D, E एवं F' इनमें से 'E' व 'F' फेब्रिक आवश्यकीय रूप से सतही-रंग के आधार पर पहचाने जाते हैं। ये रंग हैं 'E' फेब्रिक का बफ (हल्का पीला) व 'F' फेब्रिक का घूसर। ये दोनों फेब्रिक कोई विशेष आकार था चित्रित आकृति नहीं धारण करते हैं परन्तु में दोनों अन्य फेब्रिक की तुलना में असामान्य है विशेषकर घूसर रंग का फेब्रिक। अन्य सभी फेब्रिक में फेब्रिक 'A', 'B' व 'D' में व्यक्तिगत विशेषता है जो उन्हें हड़प्पीय मृदापाष परंपरा से पृथक करती हैं। फेब्रिक 'A' को लापरवाही से बनाया गया प्रतीत होता है जिसमें श्वेत रंग के साथ हल्के काले रंग के चित्र बनाये गए है। फेब्रिक 'B' बर्तन के निचले भाग में खुरदुरी सतह से पहचाने जाते हैं। जबकि ऊपरी भाग में चिकनी लेप लगाई गई है। फेब्रिक 'C' की सतह चिकनी, महीन क्षोपदार है जो लाल, बैगनी या फ्लम के लाल रंग की तरह है। फेब्रिक 'D' मोटे, भारी सेक्शन के आधार पर पहचाने जाते हैं जिसमें मुख्यतः भारी जार, कठौत, बेसिन आदि है। इस काल के अन्य पुरावशेषों में अगेह चाल्सीडोनी से निर्मित लघु आकर के ब्लेड, करनोलियन, अगेट, मिट्टी, कॉपर आदि से बने मनके, ताम्बे की चूंड़ियाँ, शंख की चूंड़ियाँ, खिलौना-गाड़ी (मिट्टी की), पत्थर के सिल-लोढ़े अस्थि के बने पॉइंट आदि हैं।
  • कालक्रम - २
  • इस काल में सम्पूर्ण जमाव दो भागों में विभाजित किया जा सकता है : सिटाडल (KLB-I) (गढ़) - जो की पश्चिम भाग पर स्थित है तथा कालक्रम - १ के ऊपरी सम्प्रदाय जमाव के ऊपर अवस्थित है। और निम्न नगर (KLB-II) जोकि पूर्वी भाग पर स्थित है। गढ़ (सिटाडल) एक सामानांतर चतुर्भुज के आकार का है, यहाँ से लगभग ६ बड़े मिट्टी की ईंटों से निर्मित चबूतरे मिले हैं। ये संभवतः विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए थे। निम्न नगर भी सामानांतर चतुर्भुजाकार है जोकि चारदीवारी से घिरा हुआ है। जिसमें निर्माण के तीन स्टार प्रकाश में आये है। मिट्टी की ईंटों की माप ४० X २० X १० तथा ३० X १५ X ७.५ से. मी. है।