परिचय

उत्खनन शाखा नागपुर का संक्षिप्त इतिहास

संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के पुरातत्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण हेतु एक प्रमुख संगठन है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का मुख्य कार्य राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, पुरास्थलों व अवशेषों की देख-भाल करना है। इसके अतिरिक्त यह प्राचीन स्मारक एवं पुरास्थल व अवशेष अधिनियम (AMASR), १९५८ के अंतर्गत सभी प्रकार के पुरातत्वीय कार्यों का संचालन करता है। यह पुरावशेष बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम १९७२ को भी संचालित करता है।

राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों अवशेषों एवं पुरास्थलों की उचित देखभाल करने हेतु सम्पूर्ण भारत को २४ मण्डलों में विभाजित किया गया है। इस संगठन के पास एक बड़ी कार्य कुशल टीम है जिसमें प्रशिक्षित पुरातत्विद, संरक्षक, पुरालेखवेत्ता, वास्तुविद, वैज्ञानिक उत्खनन शाखाओं, प्रोगोतीहासिक शाखा, पुरालेख शाखाओं, विज्ञान शाखा, उद्यान शाखाओं, भवन सर्वेक्षण परियोजना, मंदिर सर्वेक्षण परियोजना तथा अंडर वाटर आर्किओलॉजी में पुरातत्वीय शोध परियोजनाओं का संपादन हैं।

उत्खनन शाख-१, नागपुर का गठन सन १९४४ में हुआ था जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया जो बाद में सन १९५८ में ओल्ड हाईकोर्ट बिल्डिंग (प्राचीन उच्चन्यालय भवन), नागपुर में स्थान्तरित कर दिया गया। उत्खनन शाखा का गठन विभिन्न उत्खननों व सर्वेक्षण के माध्यम से देश की समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं का अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये यह शाखा अपने गठन के समय से ही विभिन्न उत्खननों एवं सर्वेक्षण कार्यों में लिप्त रही हैं। इस शाखा द्वारा किये गये महत्वपूर्ण उत्खनन कार्य निम्न प्रकार से हैं :

 

शाखा के उद्देश्य

किसी भी प्राचीन पुरास्थल व टीलों का शंकायुक्त (समस्याग्रस्त) सर्वेक्षण करना।

  • स्थल कार्यों पर आधारित विवरण तैयार करना।
  • विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों के साथ पारस्परिक विचार विनिमय करना।
  • पुरातत्व के विद्यार्थियों को धरोहरों के विभिन्न आयामों से समृद्ध प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • सांस्कृतिक जनचेतना कार्यक्रम आयोजित करना।