पिपरावा उत्खनन

पिपरावा - १९७३ से १९७४, जिला - बस्ती, उत्तर प्रदेश

१९७३ से १९७७ वीथिका में जाएं
  • १९७३-१९७७ स्वर्गीय श्री के. एम. श्रीवास्तव, रिटायर्ड डायरेक्टर
  • २७°२६'; ८३°७'

नेपाल की सीमा के पास एक अंग्रेज जमीदार पेपे. द्वारा खुदाई की गई जहां ब्राम्ही शिलालेख के अवशेष प्राप्त हुए। यह स्थान आमतौर पर कपिलवस्तु के रुप में पहचाना जाता है। सन १९७२ में ६ मीटर की गहराई में दो जली हुई ईंटों के कक्षों में अन्य अवशेष कस्तूरी पाए गए थे। दो साबुन के पत्थर के कक्षों में कस्तूरी जली हुई हड्डीयां थी । यह कास्केट उत्तरीय काले रंग में चित्रित बर्तन के समकालीन थे।

पिपरावा लगभग ५ वी शताब्दी ई. पूर्व से तीसरी शताब्दी ई. बाद तक के लिए कब्जे में रहा। यह जगह आग में घिर गई। और इस वजह से त्याग दी गई। बहुत कम प्राचीन वस्तुएं उत्खनन में प्राप्त हो पाई जैसे तांबे के कटोरे और थाली, पत्थर के वजन, लोहे के तसले, हुक, कांटा, नाखून और फ़साने वाले छेद, कुर्सियां, तांबे के कुशन, अयोध्या के सिक्के, पंचमुद्रित तांबा और चांदी के सिक्के, ताम्बे की सुरमा सलाई, और बोरर (छेद करने का औजार), पत्थर के मुख, टेराकोटा और कार्नेलियन मोती, एक टेराकोटा मुखौटा और उत्तरीय काले रंग में चित्रित बर्तन के टुकड़े।