रिथि रंजना २१°२४'१२९'' उत्तर ७९°००'०९३''पूर्व यह जगह गुमगांव के मैगनीज खदानों में खुदाई क्षेत्र में पाई गई। यह स्थान खापा के नजदीक तहसील सावनेर जिला नागपुर में हैं नागपुर से ३७ किलोमीटर उत्तर में स्थित है। गुमगांव के दक्षिण में कलमेश्वर तहसील, पूर्व में पारशिवनी तहसील...
अधिक जानकारीइस जगह की खुदाई भारतीय पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण के अधिकारी श्री बी. बी. लाल, श्री बी. के. थावर और श्री जे पी जोशी द्वारा सन १९६१ से १९६९ के बीच ९ क्षेत्रीय मौसमों में की गई थी। उत्खनन में संस्कृतियों के दोहरे अनुकरण को प्रकाश में लाया गया है। जिनमें से...
अधिक जानकारी१९६८ से १९७० तक के उत्खनन में एक हिनायन बौद्ध स्तूप पाया गया, जिसमें प्रदक्षिणा पथ था। इस स्तूप का नवीनीकरण ई. पूर्व तीन शताब्दियों से ई. बाद तीन शताब्दी तक - छः शताब्दियों में तीन बार किया गया। खुदाई भी...
अधिक जानकारीउत्खनन लगभग ई. पूर्व पांचवी शताब्दी से ई. बाद तीसरी शताब्दी तक चलता रहा। कोशिकाएँ और बरामदा (ओसारा) उत्तर की ओर पूर्व में मठ में पौराणिक कथाओं - कपिलवस्तु के साथ लाल भूरे रंग की पक्की मिट्टी का मुहर लगाया।...
अधिक जानकारीइस जगह १९८८ से १९९२ तक चार मौसमों में खुदाई की गई। यहां मिट्टी के अलावा छोटे पत्थरों से बने हुए हथियारों का समय प्रारंभिक ऐतिहासिक समय तक बहुत समृद्ध संस्कृति वाले परिवेश को प्रकाश में लाया गया था। सांख्यिकी बातें।...
अधिक जानकारीभारतीय पुरातत्व विभाग की जांच के तहत १९९८ से ९९ और १९९९ से २००० तक लगातार दो मौसमों के लिए खुदाई की गई थी। PD - १ आहार, PD -२ मालवा, PD - ३ जोरवे और PD - ४. इन संस्कृतियों के चार गुना अनुक्रम वाले क्षेत्रों में खुदाई की गई। प्रारंभिक ऐतिहासिक...
अधिक जानकारीयह जगह २००३ से २००६ तक लगातार तीन मौसमों में खोद ली गई थी। यह जगह प्राचीन सरस्वती नदी की परनालियों के धाराओं में देखी जाने वाली कई जगहों में से एक है। अभी यह मौसमी छग्गर नदी के द्वारा प्रस्तुत की गई है...
अधिक जानकारीमल्हार गढ़ की शुरुआती ऐतिहासिक स्थल में २००९ से २०१० और २०१० से २०११ के मौसमों में खुदाई की गई। यहां पाँच बार सांस्कृतिक अनुक्रम में अव्यवस्था की गई इसका पता लगा। इनकी पहचान वैकल्पिक रूप से पी डी - १ प्री मौर्य (मौर्य के पहले ), पी डी - २ मौर्य काल...
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